*** बिम्ब, प्रतीक और मिथक


बिम्ब
कविता की व्याख्या और सराहना करने के लिए बिम्ब और प्रतीक का व्यवहार करना आधुनिक युग के आलोचकों ने शुरू किया. अब आजकल अलंकारों की अपेक्षा कविता में बिम्ब और प्रतीक के प्रयोग को समझना अधिक जरूरी लगता है. इसके कुछ लक्षण हैं. आधुनिक युग का कवि सचेत रूप से अपनी कविता को अलंकारों से सजाना नहीं चाहता. दूसरे शब्दों में कहें तो वह कविता को सजाने से ज्यादा अनुभव को सजीव और जटिल रूप में व्यक्त करना चाहता है. सुन्दरता की अपेक्षा अनुभव की बनावट और जीवंतता आधुनिक कवि के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण है.

किन्तु ऐसा नहीं है कि पुराने कवि अनुभव की सजीवता और जटिलता की चिंता नहीं करते थे. पुरानी कवित में भी ये गुण पर्याप्त मात्रा में विद्यमान हैं. किन्तु पुराने लोग कविता की व्याख्या करते समय अलंकारों का उल्लेख करके कविता की सुंदरता पर अधिक ध्यान देते थे. आधुनिक युग के पाठक और आलोचक कविता की सजीवता को अधिक मान्यता देते हैं. मोटे रूप में कहा जा सकता है कि आधुनिक कवि का दृष्टिकोण सौन्दर्यवादी की अपेक्षा जीवनवादी अधिक है. यही कारण है कि कविता में बिम्ब का महत्त्व बढ़ गया है.

ऐसा माना जाता है कि बिम्ब संवेदन से जुड़े होते हैं. उनकी सबसे बड़ी विशेषता 'ऐन्द्रियता' होती है. यही वजह है कि सुंदरता से अधिक सजीवता बिम्ब का प्रधान गुण है. अलंकार में सजीवता हो सकती है लेकिन उनके प्रयोग का प्रधान उद्देश्य कविता में सौन्दर्य लाना होता है. ठीक उसी प्रकार बिम्ब में सौन्दर्य हो सकता है, लेकिन उसका काम कविता को सजीव बनाना है.

कविता में जब कवि कल्पना के प्रयोग से बिम्ब की सृष्टि करता है तब वह अपने अनुभव को ठीक उसी रूप में व्यक्त करना चाहता है जैसा वह अनुभव करता है. लेकिन जब वह अलंकार का प्रयोग करता है तो उसे कुछ आडम्बर के साथ व्यक्त करना चाहता है. यानी बिम्ब के प्रयोग से कवि अपने अनुभव को प्रमाणिक करता है. उसकी असलियत की चिंता करता है. अलंकार के प्रयोग से अधिकतर प्रदर्शन की भावना प्रगट होती है.

बिम्ब कई प्रकार के होते हैं:- दृश्य, श्रव्य, घ्राण, स्पर्श, स्वाद आदि. बिम्बों में इस वर्गीकरण से भी पता चलता है कि उसमें ऐन्द्रिकता केन्द्रीय तत्व है. दृश्य, श्रव्य, घ्राण, स्पर्श, स्वाद आदि ये सभी बातें ऐन्द्रिक संवेदन से सम्बन्धित हैं.

बिम्ब के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं:
छिटक रही है चाँदनी
मदमाती उन्मादिनी
कलगी-मौर सजाव ले
कास हुए हैं बावले
पकी ज्वार से निकल शशों की जोड़ी गई फ़लाँगती
____________________अज्ञेय

कार्त्तिक पूर्णिमा की चाँदनी उन्मादिनी हो उठी है. उसका प्रभाव कास पर और खरगोशों की जोड़ी पर पड़ता है. वे चाँदनी को उत्सव की तरह जीने लगते हैं. इस प्रकार उन्माद और उत्सव का एक गतिशील चित्र हमारी आँखों के सामने आ जाता है.

इस कविता में रंग और गंध बिम्ब भी है:
उजली-लालिम मालती
गंध के डोरे डालती.
मालती के फूल सफेदी लिए हुए लाल होते हैं और उनकी गंध मादक होती है. इस प्रकार रंग और गंध की संवेदना का अनुभव होता है.

श्रव्य बिम्ब का उदाहरण:
लेकर मृदु ऊर्म्य बीन
कुछ मधुर, करूण, नवीन
प्रिय की पदचाप-मदिर गा मलार री.
रात कोमल, मधुर, करूण और नवीन संगीत जैसे गा रही है. इसमें श्रव्य संवेदना सजीव हो उठी है.
इस प्रकार ऐन्द्रिक संवेदना के जितने रूप हो सकते हैं वे सब बिम्ब रूप में ही सजीव होकर व्यक्त होते हैं.

प्रतीक

प्रतीक सामान्यतया चिह्न को कहते हैं. जब कविता में कोई वस्तु इस तरह प्रयोग की जाती है कि वह किसी दूसरी वस्तु की व्यंजना या संकेत करे तब उसे प्रतीक कहते हैं.

बिम्ब में संवेदना अपने तात्कालिक रूप में होती है. लेकिन प्रतीक में संवेदना, तात्कालिक रूप को लाँघ जाती है. बिम्ब जिस वस्तु, दृश्य या व्यापार का होगा वह उसी के आंतरिक बाह्य स्वरूप के सघन और गतिशील रूप का उद्घाटन करेगा. जैसे ऊपर के उद्धरणों में दृश्य, रंग, गंध आदि के अनुभवों को ही गहराई और सजीवता से व्यक्त किया गया है. लेकिन प्रतीक प्रस्तुत वस्तु से अधिक और भिन्न किसी और बात का संकेत करता है.

उदाहरण के लिए:
मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं.
मुकताहल मुकता चुगैं, अब उड़ि उनत न जाहिं..
____________________कबीर

इस कविता में मानसरोवर-आध्यात्मिक जीवन, जल-ब्रह्मानुभूति, हंस-आत्मा और मुक्ता-ज्ञान का अर्थ देते हैं. इस प्रकार प्रतीक की विशेषता है कि वे किसी अन्य गहरे और सामान्यीकृत अर्थ का संकेत देते हैं.

श्री सुमित्रानंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' में बाल विहंगिनि प्रतीक भी है. जैसे अभी अंधेरा रहने पर भी सुबह का आभास बाल विहंगिनि को हो जाता है, उसी प्रकार जो जीवन के सीधे संपर्क में सचेत रूप से होते हैं उन्हें नए 'जीवन-व्यवहारों और अनुभवों' का पता पहले ही चल जाता है. वे उसके उल्लास और विषाद का आभास पा लेते हैं.

एक और उदाहरण:
अपने इस गटापरची बबुए के
पैरों में शहतीरें बाँध कर
चौराहें पर खड़ा कर दो
फिर चुपचाप ढोल बजाते जाओ,
शायद पेट पल जाए-
दुनिया विवशता नहीं
कुतूहल खरीदती है.
______________________सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

इस कविता में रबर के गुड्डे को शहतीरों पर खड़ा करके तमाशे का दृश्य, संवेदन के स्तर पर, कवि नहीं अनुभव कराना चाहता. वह इस दृश्य से आधुनिक जीवन की विवशता और उसकी विडम्बना को व्यंजित करना चाहता है. फलत: गटापारची बबुआ आदमी की विवशता का संकेत करता है.

मिथक 
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9 comments

Unknown April 27, 2015 at 3:05 AM

Thank you Sir. You just saved my life :).. God bless

Vikas Verma August 29, 2016 at 10:00 AM

बहुत अच्छी तरह समझाया है आपने| आज तक इधर-उधर बहुत सर मारा, लेकिन कभी इतना स्पष्ट रूप से समझ नहीं आया|

Nidhi November 24, 2017 at 1:41 AM

Scrupulous explanation... Worth applaud.

Unknown March 12, 2018 at 11:16 PM

बहुत अच्छीजानकारी के लिए धन्यवाद

Yaminie November 21, 2018 at 4:10 PM

Very nice.

Anonymous

संक्षिप्त पर बेहतरीन

Aditya Kumar December 15, 2020 at 10:10 PM

Nice

Unknown March 22, 2022 at 5:42 AM

बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी है…

color personality test for workplace October 31, 2023 at 11:30 AM

Myers Briggs Personality Types
To determine a person’s four-letter personality code, the MBTI asks questions to help determine which sides of the four scales they most closely fit.

Extraversion-Introversion
This scale helps a person understand where they put their attention and how they get their energy. “Extraversion refers to the tendency to be outgoing and action-oriented while enjoying social interactions and feeling more energized as a result. Introversion lies on the opposite end of the scale and reflects the tendency to be more thought-oriented and withdrawn,” says Vitelli. However, introversion doesn’t always mean the same thing as shy. Introversion can also indicate someone who enjoys “living in their head,” reflecting on ideas, thoughts or memories. These types may enjoy company in small groups rather than large crowds and are often comfortable being alone.

Other common traits of extraverts include:

Feeling comfortable in groups
Being popular or having a large friend group
Not thinking something over before taking action
Common traits of introverts include:

Avoiding action by overthinking and/or contemplating
Feeling removed from the outside world
Sensing-Intuition
This scale examines how people take in information from the world around them. “People who prefer sensing tend to be more reality-based and depend on their own senses and what they can learn from hands-on experience,” says Vitelli. “Intuition [type] is more likely to depend on their impressions of the world around them and is more likely to rely on inner feelings to make conclusions.”